समीर, शादाब और तनवीर ने बचाई जान
मुसलमानों की मोब लिंचिंग के वक़्त बनी तमाशबीन भीड़ को ये न्यूज़ ज़रूर देखना चाहिए कि जब भी जहां भी ज़रूरत होती है इंसान बनकर सामने आ जाते हैं।
जो अखबार हमेशा मुसलमानों से खुलकर दुश्मनी निभाता है आज बिना रहे वही इन मुसलमानों के नामों के कसीदे पढ़ रहा है। सोंचिये यही तीनों नाम उन कारीगरों के होते जिन्होंने वह दीवार बनाई थी तो आज अखबारों की हेडलाइन पूरी क़ौम के खिलाफ बनाकर पेश की जा रहीं होतीं और लोग उसपर यकीन करके पूरी क़ौम को गालियाँ देने से नहीं चूकते अपनी लेकिन ऊपर वाला भी वक़्त ब वक़्त अपने करामात दिखाता रहता है।
समीर, शादाब और तनवीर तो बस एक नाम है साहब हम तो बस मोहब्बत करने वाले लोग हैं करके तो देखिए। हम तो उस मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैही वसल्लम के उम्मती हैं जिन्होंने अपने दुश्मनों से भी प्यार करना सिखाया है और किसी का बुरा वक़्त पड़ने पर मदद करनी भी सिखाई है।
इसलिए मेरे दोस्तों और देशवासियों ये साम्प्रदायिक अखबार और गोदी मीडिया इंसानियत के दुश्मन हैं जिनसे दूरी अख्तियार करिये और मोहब्बत का दामन थाम लीजिये क्योंकि ये साम्प्रदायिक मीडिया आपके काम नहीं आएगी बल्कि आपका अपना पड़ोसी ही काम आएगा। सिर्फ आप अपने पड़ोसी से मोहब्बत करिये फिर पूरा देश खुद ब खुद इंसानियत से भर जाएगा।
आइना कोई ऐसा बना दे, ऐ खुदा जो,
इंसान का चेहरा नहीं किरदार दिखा दे।
Faizul Hasan