अशफाक कायमखानी।जयपुर।
हालाकि भारत भर के मुस्लिम समुदाय मे एक मुहीम चला कर शादियों को हर मुमकिन सस्ती से सस्ती व तालीम को मयारी से मयारी बनाने के लिये किसी ना किसी रुप मे मुकाबलाती मुहीम किसी ना किसी समाजी संगठन या शख्स के मार्फत पिछले कुछ समय से तेजी के साथ चलाई जा रही है। लेकिन इस मुहीम को पूरी तरह सोला आन्ना सफल करने के लिये राजस्थान के शेखावाटी जनपद की जमीन व शिक्षामय माहोल बडा उपयोगी साबित हो सकता है। अगर भारत भर के माहिरीन व स्थानीय समाज जरा सा अपना ध्यान इस तरफ करके उक्त बातो पर अमल करने की कोशिश पुरा दम लगा कर करने लगे तो साजगार परिणाम आते दैर ना लगेगी। सीकर मे कायम ऐक्सीलैंस नामक तालिमी इदारे के साथ साथ शेखावाटी जनपद के सीकर चूरु व झुंझुनू जिलो मे जगह जगह कायम अनेक तालिमी इदारो ने क्षेत्र मे तालीम को आम करने मे महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करके खास तौर पर महिला शिक्षा के प्रति जन जाग्रति लाकर उस कहावत को चरितार्थ किया है कि पढी लिखी लड़की दो परिवारों की रोशनी होती है।
अगर हम शेखावटी जनपद पर जरा नजर डाले तो शादियों को कम से कम खर्चीला बनाने के साथ साथ तमाम फिजूलखर्ची को बंद करने के लिये कायमखानी यूथ ब्रिगेड व अन्य कुछ संस्थाओं ने दिन रात कड़ी मेहनत करके समुदाय मे बदलाव लाने मे प्रयासरत है। जिसका परिणाम यह निकल कर आ रहा है कि शादी मे होने वाली फिजूलखर्ची कृने के बजाय लोगो ने उस बचत को अब बच्चो की मयारी तालीम दिलाने पर खर्च करना शुरु कर दिया है। खासतौर समुदाय मे अब बेटीयो को मयारी तालीम दिलाने के लिये भी आपसी मुकाबला होना शुरु हो गया है। जो बनते सूनहरे भविष्य की तरफ साफ ईशारा कर रहा है।
शेखावाटी जनपद के झूंझुनू जिले की फराह, इशरत, तसनीम, रुकसार व सीकर की परवीन सहित अनेक बेटियो ने फौज व प्रशासनिक सेवा के अलावा न्यायिक सेवा मे चयनित होकर अपनी तरक्की की लाईन को लम्बा व समाज को दिशा देने को लगातार प्रयासरत है। तो मेडिकल व इंजीनियरिंग के क्षेत्र मे केवल बेटिया हजारों हजार जाने के लिये कोचिंग करने व सलेक्ट हो कर सरकारी व गैर सरकारी सेवा कर रही है। विभिन्न तरह की अन्य सेवाओ मे खासतौर पर झुंझुनू जिले की हजारों बेटियां विभिन्न तरह की कोचिंग ले रही है। पिछले दिनो झूंझुनू जिले के एक साधारण परीवार के व्यक्ति से बात होने पर उस शख्स ने बताया कि पेट काटकर बचाये पैसो से वो फाईनल की परीक्षा देने के तूरंत बाद भारतीय सिवील सेवा की तैयारी कराने के लिये अपनी बेटी का प्रवेश दिल्ली की नामी कोचिंग संस्थान मे करवाया है। जहां जीके विषय की फीस एक लाख साठ हजार व बाकी हर ओफनल विषय की फीस साठ हजार व रहने का खर्चा अलग है। वालदेन की शिद्दत की दाद देनी होगी कि वो ईद मनाने बेटी को गावं ना बूलाकर खूद दिल्ली बेटी के पास जाकर ईद मनाकर आये है। उक्त एक शानदार व शबक लेने वाला उदाहरण है। लेकिन जनपद की सैंकड़ों बेटीया इसी तरह दिल्ली व भारत के दुसरे क्षेत्र मे सिवील सेवा की तैयारी कर रही है। इनमें लड़को की तादात बेशक बेटियो से कम हो सकती है।
कुल मिलाकर यह है कि सीकर मे कायम ऐक्सीलैंस नामक तालिमी ईदारे के बानी वाहीद चोहान सहित शेखावाटी जनपद के अनेक लोगो की सामुहिक कोशिशों से शेखावाटी क्षेत्र मे काफी हद तक बेटा-बेटी की तालीम दिलाने का भेद अब जाकर लगभग खत्म हो चला है। अब जाकर हर परीवार बेटा बेटी दोनो को मयारी तालीम दिलाने मे अपनी हेसियत व पहुंच के मुताबिक़ हर मुमकिन कोशिश करने लगा है। पर इस परवाज को ओर अधिक ऊंचाई देने का काम सामाजिक संस्थाओं को करना होगा। इसके अतिरिक्त विश्वव्यापी मंदी व कोविड-19 के कारण जारी लोकडाऊन ने हम सबको हिलाकर रख दिया है। ऐसे डर के माहोल मे एक मात्र शिक्षा ने ताकत बक्शी है। एवं तालीम की अहमियत का पग पग भर अहसास हुवा है।