देश की राजधानी दिल्ली में आज फिर एक पत्रकार के साथ मारपीट और बदसलूकी का मामला सामने आया है। आर एम एल हॉस्पिटल के स्टाफ और वहां के कुछ गार्ड्स ने फ़ोरम4 के मुख्य संपादक और पत्रकार प्रभात के साथ मारपीट की। यह घटना उस समय घटी जब पत्रकार प्रभात अपने एक साथी के इलाज़ के सिलसिले में रोगी के बेड से जुड़ी पूछताछ के लिए आर एम एल हॉस्पिटल पहुंचे।
आज कल कोविड-19 के दौरान हॉस्पिटल्स में रोगियों के उपचार में काफ़ी दिक्कतें आ रही हैं। रोगियों का उपचार और भर्ती प्रक्रिया के संबंध में लगातार शिकायतें भी आ रही हैं। इसी बीच हाल ही में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने हॉस्पिटल सख़्त कदम उठाते हुए डॉक्टर और हॉस्पिटल के लिए कुछ नए निर्देश भी जारी किए जिसमें रोगियों के उपचार में कुछ सहूलियतों के बरतने का भी ज़िक्र किया गया था पत्रकार प्रभात ने आर एम एल हॉस्पिटल के रिसेप्शन पर जाकर पूछा कि नए एमरजेंसी मरीजों के उपचार के लिए बेड उपलब्ध हैं या नहीं, जवाब था “नहीं”। रिसेप्शन पर मौजूद व्यक्ति ने कहा “यहां बेड नहीं है कुछ भी ; हम नए मरीज नहीं लेंगे ।” हॉस्पिटल स्टाफ का ये झूठ और रोगियों के साथ बरती जा रही लापरवाही मोबाइल कैमरे में रिकॉर्ड हो चुकी थी।
अब क्या था आर एम एल हॉस्पिटल के स्टाफ ने झड़प शुरू कर दी और वह पत्रकार के पीछे पीछे आने लगा और पत्रकार प्रभात से मोबाइल फोन छीन लिया और मौके पर लाठी डंडे समेत आए गार्ड्स ने मारपीट भी शुरू कर दी। ऐसे में प्रभात को काफ़ी चोटें भी आयीं।
गंभीर त्रासदी और संकट से जूझ रहे देश में पत्रकार भी सच न दिखा सकें तो देश के लिए इससे बुरा दिन और कोई नहीं होगा। सरकारों के दावों की पड़ताल भी नहीं होगी तो क्या होगा? अगर इसी तरह पत्रकारों को सच दिखाने से रोका गया तो बुरे अंजाम सामने आएंगे। सरकारी विभागों में लापरवाही, भ्रष्टाचार, कालाबाजारी की अनगिनत घटनाएं घटित होगी और लोकतंत्र के चौथे स्तंभ में शामिल पत्रकार की ज़बान बंद होने पर देश को सबसे बड़े खतरे से गुजरना होगा और आम जनता बेबसी का शिकार बन जाएगी।