रौशन मुस्तक़बिल के लिए तारीख़ का इल्म ज़रूरी – शम्स तबरेज़ क़ासमी

आंध्र प्रदेश के तारीखी शहर गुंटूर में वहां के तंजीम “Know our history” ने एक प्रोग्राम का इनएक़ाद किया। मौजूदा तारीख़ की अहमियत और मुसलमान मुजाहिदीन–ए–आजादी के इस प्रोग्राम में मेहमान–ए–खुसूसी  के तौर पर दिल्ली से मिल्लत टाईम्स के चीफ़ एडिटर शम्स तबरेज क़ासमी को बुलाया गया। इसके अलावा मशहूर तारीखदां सैयद ओबैदुर रहमान भी इस प्रोग्राम में मौजूद रहे।

““Know our history” के फाउंडर हैं सोफी इमरान, जिन्होने आज से पांच वर्ष पहले इस तंजीम को क़ायम किया। उन्होंने प्रोग्राम के आगाज़ करते हुए कहा की हमारा मक़सद है अपने कौम को तारीख़ से वाकिफ कराना और उनको बताना की हिन्दुस्तान को किन लोगो ने आज़ाद कराया और हमारे मुसलमान बादशाहो की तारीख़ क्या रही है।

उन्होंने यह भी कहा की आज इस तंजीम के पांच वर्ष पूरे हो गए है, इस बीच लगातार हम आंध्र प्रदेश के अलग अलग हिस्सों में प्रोग्राम करते आ रहे हैं। पांच साल मुकम्मल होने पर हमने आज एक बड़े प्रोग्राम का आयोजन किया है, जिसमें मेहमान–ए–खुसूसी  के तौर पर मशहूर सहाफी मिल्लत टाईम्स के चीफ़ एडिटर शम्स तबरेज क़ासमी को बुलाया है।

शम्स तबरेज क़ासमी ने प्रोग्राम में मौजूद आवाम से खिताब करते हुए कहा, तारीख़ मुसलमानों का सबसे क़ीमती असासा है, तारीख़ से हमे रौशन मुस्तकबिल के तामीर का हौसला मिलता है। मुसलमानो की तारीख़ बहुत ही अहम और गौरवशाली है और इस तारीख़ को सामने रखते हुए हम अपने मुस्तकबिल को बेहतर बना सकते है।

उन्होंने कहा कि हिन्दुस्तान के मौजूदा हुक़ूमत और “राइट विंग” गुरु  मुसलमानो की  तारीख़ को बदल रहे है। मुसलमानो के मस्जिदों पर उल्टे–सीधे दावे कर के उस पर कब्ज़ा किया जा रहा है, मुसलमान बादशाहों को बदनाम किया जा रहा है। इसके अलावा हमारे जो मुजाहिदीन–ए–आजादी है उनके कुरबानियों को भी फरामोश किया जा रहा है, जिसको हमे जानने और समझने की जरूरत है। 

शम्स तबरेज क़ासमी ने कहा की औरंगजेब आलमगीर पर अक्सर यह इल्ज़ाम लगता है कि उन्होंने अपने भाई को कत्ल किया, उसके बाद वह बादशाह बने। जबकि अशोका ने अपने 99 भाईयो का कत्ल किया था जिसका कहीं ताज़करा तक नही किया जाता। इसी तरह से औरंगजेब पर यह भी इल्ज़ाम लगाया जाता है कि उन्होंने हजारों मंदिरों को तोड़ा, जबकि तारीख़ में सबूत मौजूद है कि उन्होंने 400 से ज्यादा मंदिरों के लिए अपनी जागीर अता की थी। बहुत से पुजारियो को भी उन्होंने जागीर अता की थी और अपने खज़ाने से उनको वजीफा भी देते थे और उनका पूरा बंदोबस्त होता था।

यह सच है कि औरंगजेब ने एक–दो मंदिरों को तोड़ा। लेकीन इसकी वजह यह है कि औरंगजेब को ख़बर मिली थी की उन मंदिरों के जो पुजारी है वे औरतों के साथ रेप करते है, उन पर ज़्यादती करते है और यह सेक्स स्कैंडल बना हुआ है, तब औरंगजेब के सिपाहियों ने जाकर उन मंदिरों को तोड़ा। दरअसल तोड़ने की वाक्या भी कुछ इस तरह है, जैसे काशी विश्वनाथ टेंपल है वहां के पुजारी औरतों को मिसयूज करते थे, जैसे कि गुजरात के एक राजा की औरत जब वहां गई तो वापस नहीं आ सकी तो गुजरात के उस राजा ने मुग़ल राजा औरंगजेब से मदद की मांग की तो जब औरंगजेब के सिपाही वहां गए तो वहां के जो पुजारी थे उन्होंने अपनी सेना से औरंगजेब के सिपाहियों का मुक़ाबला किया, उन पर हमला किया तब जा कर दीवार तोड़ कर इन लोगों को अन्दर जाना पड़ा।

इसी तरह शेर–ए–मैसूर टीपू सुल्तान पर यह इल्ज़ाम लगाया जाता है कि उन्होंने मंदिरों को तोड़ा, जबकि उनके घर के बाहर ही दो–दो मन्दिर थे और यह बड़े मन्दिर थे जहां से हर वक्त उनको मन्दिर के घंटी बजने की आवाज़ सुनाई देती थी। लेकिन कभी उन मंदिरों को उन्होंने नही तोड़ा।

इसी तरह से शम्स तबरेज क़ासमी ने ये भी कहा की  शेर–ए–मैसूर टीपू सुल्तान पर यह इल्ज़ाम लगता है कि उन्होंने हिंदुओ को जबरन मुसलमान बनाया, जबकि तारीख़ में ऐसा कोई सुबूत मौजूद नहीं है। उस वक्त के जो अंग्रेज अधिकारी थे, वो टीपू सुल्तान के खिलाफ़ थे, उनको बदनाम करना चाहते थे। क्योंकि वही उनके राह में सबसे बड़े रुकावट थे।

उस वक्त के अंग्रेज अधिकारियों ने टीपू सुल्तान के ताल्लुक से झूठी बातें फैलाई और उनको हिंदुओ के नज़र में बदनाम करने की कोशिश की। जबकि सच्चाई यह है कि टीपू सुल्तान के यहां बड़े बड़े पद पर हिंदुओं को मुकर्रर किया जाता था। जिस तरह से मुग़ल साम्राज्य में बड़े बड़े ओहदे पर हिन्दू फाइज (मुकर्रर) किए जाते थे।

मिल्लत टाईम्स के फाउंडर शम्स तबरेज क़ासमी ने यह भी कहा की हालिया दिनों में बॉलीवुड और सोशल मीडिया के ज़रिए लगातार तारीख़ को गलत अंदाज़ से पेश किया जा रहा है, फिल्मे बनाई जा रही है, लेकिन हमें उस पर नज़र रखनी है। मिल्लत टाईम्स की भी इस पर नज़र है और मिल्लत टाईम्स ने तारीख़ को सही सही अंदाज़ में पेश करने के लिए और सोशल मीडिया या फिल्मों के ज़रिए तारीख़ को जिस तरह से गलत अंदाज़ में पेश किया जा रहा है, उसे काउंटर करने के लिए एक नया यूट्यूब चैनल बनाया है “द हिस्ट्री प्वाइंट” जिससे आप सभी लोगो को जुड़ने की जरुरत है।

इस प्रोग्राम से मशहूर हिस्टोरियन सैयद उबैद उर रहमान साहब ने भी खिताब किया, और उन्होंने ने अपने खिताब में हिन्दुस्तान के मुस्लिम मुजाहिद–दीन–ए–आजादी का तज़करा किया। इसके अलावा उन्होंने बताया कि 1857 से ही हिन्दुस्तान के आजादी की लड़ाई शुरू हो गई थी। बहादुर शाह ज़फ़र हिन्दुस्तान के मुजाहिद–दीन–ए–आजादी में से एक हैं। इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा की हिन्दुस्तान में इस्लाम अमन के जरिए फैला है, तलवार के जरिए नही। हिन्दुस्तान में सबसे पहली मस्जिद चिरामन में बनी थी, जिसे मस्जिद–ए–चिरामन कहा जाता है और वहां का बादशाह चिरामन ने सऊदी अरब जा कर इस्लाम कबूल किया था, जिसके बाद वहां से वापसी में उनका इंतकाल हो गया था।

इस प्रोग्राम में गुंटूर के एमएलए मोहम्मद नसीर ने भी शिरकत किया और उन्होंने दिल्ली से आए दोनो मेहमानों का खैर मकदम करते हुए कहा आप लोग हमारे शहर में आए इसके लिए हम शुक्रगुजार है और आइंदा भी हम इस तरह के प्रोग्राम करते रहेंगे और आप लोगो को बुलाते रहेंगे। वा आखिर दुआ पर इस प्रोग्राम का  इख्तेताम हुआ।

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