नई दिल्ली, यूपी के आजमगढ़ से एक 10 साल के बच्चे की पिटाई का मामला सामने आया है। जहां चोरी के शक में खंभे से बांधकर उसे बेरहमी से पीटा गया। बच्चे को 4 से 5 लोगों ने पहले खंभे से बंधा उसके बाद उसे लगातार 3 घंटे तक पिटते रहे। इतना ही नहीं जब बच्चे ने पानी मांग तो उसके मुंह में मिर्च ठूंस दी गई।
यह मामला आजमगढ़ के बरदह इलाके के हदिसा गांव का बताया जा रहा है। पिटाई करने वालों को शक था कि बच्चे ने मोबाइल चोरी किया है। बच्चे के पिता ने पुलिस से मामले की शिकायत की, जिसके बाद धारा 307 के तहत FIR दर्ज हुई और पुलिस ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है।
बता दें हदिसा गांव के निवासी रामकेश ने पुलिस तहरीर सौंपी हैं। इसमें कहा गया है कि 4 दिन पहले गांव के रामआसरे राम, संजय राम, सुरेन्द्र राम और विजयी राम ने उनके बच्चे पर मोबाइल चोरी का आरोप लगाया।
पिता रामकेश के अनुसार, आरोपी पहले उनके बेटे को खोजते हुए घर आए थे। गांव में किसी के लिए पूछना, एक सामान्य बात है। इसलिए परिवार का ध्यान नहीं गया। जिस वक्त बच्चे की पिटाई हो रही थी, गांव के किसी व्यक्ति ने उनके घर आकर बताया भी नहीं। काफी देर बाद उन्हें गांव में निकलने पर ये बात पता चली। तब जाकर उन्होंने अपने बेटे को छुड़ाया।
पिता ने बताया कि उनका बच्चा उस समय खेल रहा था। चारों आरोपियों ने उसे पकड़ कर बिजली के खंभे से बांध दिया और लगभग 3 घंटे पिटाई की। पानी मांगने पर पानी की जगह मुंह में मिर्च डाल दी। तमाशा देख रहे लोगों में से किसी ने भी छुड़ाने का प्रयास नहीं किया। उसकी इतनी पिटाई की कि मासूम के कान से खून भी आ गया।
इस मामले में SP सिटी शैलेन्द्र लाल का कहना है कि सोशल मीडिया से पुलिस को मामले की जानकारी हुई। जिले के SP अनुराग आर्य को मामले की जानकारी मिली तो उन्होंने प्रभारी निरीक्षक को फटकार लगाते हुए मुकदमा दर्ज करने का निर्देश दिया।
इसके बाद सुरेंद्र पुत्र श्रीराम (45), संजय पुत्र रामबली (32) और विजयी पुत्र नन्हकू (55) निवासी को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने बताया कि बच्चे की पिटाई के समय जो आस-पास लोग खड़े थे, उनके खिलाफ भी 120 बी के तहत मुकदमा दर्ज कर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। सवाल यह उठत रहा है की इन दिनों आए दिन चोरी के शक में जिस तरह मुसलमानों को पीटने के मामले सामने आ रहे है, अब ऐसी घटनाओं का शिकार गैर-मुस्लिम भी होने लगे है। यूपी में कहने को कानून व्यवस्था बढ़िया है, लेकिन लगातार लिंचिंग की घटनाएं होना यूपी सरकार पर सवाल खड़े करता है।