नई दिल्ली, दिल्ली हाईकोर्ट ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के पूर्व अध्यक्ष ई अबूबकर की मेडिकल आधार पर जमानत के लिए दायर याचिका को खारिज कर दिया है। अबूबकर को हाल ही में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने गिरफ्तार कर लिया था। वह 22 सितंबर से हिरासत में है।
अबूबकर की उम्र 70 साल की है, दायर याचिकार्ता ने दावा किया कि वह दुर्लभ प्रकार के अन्नप्रणाली कैंसर, पार्किंसंस रोग के साथ-साथ हाई ब्लड प्रेशर, मधुमेह और कमजोर दृष्टि सहित कई बीमारियों से पीड़ित हैं। जिससे कारण उन्हें मेडिकल के ट्रीटमेंट की जरूरत है और जमानत की जरूरत है।
उच्च न्यायालय के समक्ष अर्जी में कहा गया कि याचिकाकर्ता ने अपने बिगड़ते स्वास्थ्य के कारण एक अक्टूबर को अंतरिम रिहाई के लिए अर्जी दी लेकिन निचली अदालत ने उन्हें राहत देने से इनकार कर दिया और इसके बजाय उनकी पुलिस हिरासत छह दिन के लिए बढ़ा दी।
अर्जी में कहा गया कि निरंतर कैद के कारण याचिकाकर्ता के व्यक्तिगत स्वतंत्रता और स्वास्थ्य के मौलिक अधिकार का उल्लंघन हो रहा है। अर्जी में कहा गया कि याचिकाकर्ता की चिकित्सा स्थिति ‘‘गंभीर” है। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि कथित अपराध में उनकी कोई भूमिका या संलिप्तता नहीं है और ‘‘खासकर याचिकाकर्ता की बिगड़ती स्वास्थ्य स्थिति के दौरान लगातार हिरासत में रखने से कोई उद्देश्य पूरा नहीं होगा।
लेकिन जस्टिस अनूप कुमार मेंदीरत्ता ने याचिका वापस लेने के रूप में खारिज कर दी, क्योंकि एनआईए द्वारा इसकी स्थिरता पर प्रारंभिक आपत्ति उठाई गई। द लाइव लॉ के खबर के मुताबिक एनआईए की ओर से पेश हुए विशेष लोक अभियोजक अक्षय मलिक ने तर्क दिया कि उपाय यह है कि पहले निचली अदालत का दरवाजा खटखटाया जाए और उसके बाद उक्त आदेश के खिलाफ एनआईए अधिनियम की धारा 21 के तहत अपील दायर की जाए।
बता दें अबूबकर सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) के संस्थापक अध्यक्ष, नेशनल के संस्थापक अध्यक्ष थे, डेवलपमेंट फ्रंट (एनडीएफ) अध्यक्ष और पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के (2007, 2017 और राष्ट्रीय कार्यकारी परिषद के सदस्य रह चुके है, जो अब बैन कर दी गई है।
अबूबकर रिहैब इंडिया फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष, सचिव, अखिल भारतीय मिल्ली परिषद (2005)प्रदेश अध्यक्ष रहे। वह स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (1982); ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के संस्थापक सदस्य, प्रबंध संपादक, थेजस डेली न्यूज पेपर (2006) और इंडिया नेक्स्ट हिंदी पत्रिका के भी संपादक रहे है।