नई दिल्ली, यूपी सरकार द्वारा मदरसों का सर्वेक्षण कराने के फैसले पर मुस्लिम संगठन जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने आपत्ति जताई है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी आपत्ति मौजूदा स्थिति में सांप्रदायिक मानसिकता पर है, न कि मदरसों का सर्वेक्षण करने के आदेश पर। मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि “पिछले कुछ सालों में जिस तरह से सांप्रदायिक ताकतों ने पूरे देश में नफरत का माहौल बनाया है और इस संबंध में सरकार द्वारा भूमिका निभाई जा रही है, मुसलमान यह मानने को मजबूर हैं कि हर नीति उनके अस्तित्व नष्ट करने के लिए आगे आ रही है।
मदनी साहब ने कहा कि मदरसों को सांप्रदायिक ताकतें निशाना बना रही हैं और उनकी मंशा को समझना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने हमेशा संविधान में दिए गए अधिकारों के आधार पर धार्मिक संस्थानों को चलने देने की कोशिश की है, लेकिन ‘संप्रदायवादी उन्हें नष्ट करने की साजिश में शामिल हैं।’
If the survey of madrasas is necessary, then why not of other educational institutions?
We have always tried, our religious institutions should be allowed to run on the basis of rights given in the Constitution, but communal people are engaged in conspiracy to destroy them.— Arshad Madani (@ArshadMadani007) September 14, 2022
जमीयत उलमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना मदनी ने कहा कि असम के मुख्यमंत्री निराधार आरोप लगाकर मदरसों के विध्वंस को सही ठहराने की कोशिश कर रहे हैं। वे कयामत तक कोई सबूत पेश नहीं कर सकते। उन्होंने असम में सरकार द्वारा मदरसों के विध्वंस को देश के संविधान और धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ कदम बताया।