नई दिल्ली, (रुखसार अहमद) बिलकिस बानो के 11 दोषियों को 15 अगस्त के मौके पर रिहा कर दिया गया था। इस खबर के बाद बिल्किस अंदर से सहम गई थी। उनकी रिहाई के बाद आमजन का न्याय से भरोसा उठ रहा है, महिला खुद को सुरक्षित नहीं कह रहे हैं।
सोशल माडिया पर बिलकिस के इंसाफ के लिए न्याय की मांग उठ रही है। लोगों का कहना है कि क्या निर्भया के गुनहागारो को भी ऐसा छोड़ दिया जाता। एकतरफ हमारे पीएम मोदी लाल की प्रचीर से महिलाओं की सुरक्षा की बात करते, वहीं उसी दिन एक महिला के रेप को आरोपियों को छोड़ा दिया जाता है, उन्हें माला पहनाई जाती है। 11 दोषियों को छोड़ने का डर उस गांव के और लोगों में भी, जहां बिलकिस रहती है, इस डर से 70 मुस्लिम परिवार ने गांव छोड़ना शुरू कर दिया है।
DNA की खबर के मुताबिक गुजरात के दाहोद जिले के रंधिकपुर गांव के एक निवासी ने दावा किया कि बिलकिस बानो के 11 दोषियों की रिहाई के बाद से मुस्लिम परिवार दहशत में जी रहे हैं। उन्हें अपनी सुरक्षा की चिंता होने लगी है।
उन्होंने कहा कि गांव वालों को डर है कि दोषियों के रिहा होने से फिर से हिंसा ना भड़क जाए। इसी खौफ की वजह से कई मुस्लिम परिवार गांव छोड़कर अपने रिश्तेदारों के यहां रहने चले गए हैं।उन्होंने कहा कि हमने जिला कलेक्टर को आग्रह किया है कि वो दोषियों की सजा पूरी होने तक जेल में डालें और गांव को सुरक्षा प्रदान करें।
हालांकि पुलिस ने इस मामले में संज्ञान लेते हुए रंधिकपुर गांव की सुरक्षा बढ़ा दी है। पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) आर. बी. देवधा ने कहा कि कुछ ग्रामीण अपना घर छोड़कर दूसरे शहरों में अपने रिश्तेदारों के साथ रहने चले गए हैं। पुलिस गांव के लोगों के संपर्क में है। साथ ही उनकी समस्याओं को दूर करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि जेल से रिहा हुए 11 दोषी रंधिकपुर के पास सिंगवड़ गांव के निवासी हैं, लेकिन वो इलाके में मौजूद नहीं हैं। आरोपियों के गांव पास होने के कारण मुस्लिम परिवार दहशत में आ गए हैं, इसी कारण वह गांव छोड़ने पर मजबूर हैं।
बता दें 15 अगस्त को बिलकिस बानो के केस में 11 दोषियों को गुजरात सरकार ने रिहा कर दिया था इन दोषियों को उम्र कैद की सजा सुनाई गई थी, लेकिन 15 साल जेल काटने के बाद गुजरात सरकार ने उनकी रिहाई के आदेश दिए। इन दरिंदों ने 3 मार्च 2002 को गुजरात दंगों के दौरान दाहोद जिले के रंधिकपुर गांव की रहने वाली बिलकिस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार किया था और परिवार के 7 लोगों की हत्या कर दी थी। कोर्ट ने दरिंदों को दोषी मानते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई थी। लेकिन गुजरात सरकार ने 15 साल बाद इन्हें रिहा करवा दिया। इनकी रिहाई के बाद देश की महिलाओं में एक डर का माहौल पैदा है।
क्य़ा थी पूरी घटना
27 फरवरी 2002 को साबरमती एक्सप्रेस में गोधरा स्टेशन के पास आग लगा दी गई। इस घटना में अयोध्या से लौट रहे 59 श्रद्धालुओं की मौत हो गई। घटना के चलते गुजरात में दंगे भड़क उठे। दंगों की आग तीन मार्च 2002 को बिलकिस के परिवार तक पहुंच गई।
उस वक्त 21 साल की बिलकिस के परिवार में बिलकिस और उनकी साढ़े तीन साल की बेटी के साथ 15 अन्य सदस्य भी थे। चार्जशीट के मुताबिक बिलकिस के परिवार पर हसिया, तलवार और अन्य हथियारों से लैस 20-30 लोगों ने हमला बोल दिया था।
इनमें दोषी करार दिए गए 11 लोग भी शामिल थे। दंगाइयों ने बिलकिस, उनकी मां और परिवार की तीन अन्य महिलाओं के साथ दुष्कर्म किया। उन सभी को बेरहमी से पीटा। हमले में परिवार के 17 में से सात सदस्यों की मौत हो गई। छह लापता हो गए। केवल तीन लोगों की जान बच सकी। इनमें बिलकिस, उनके परिवार का एक पुरुष और एक तीन साल का बच्चा शामिल था। इस घटना के वक्त बिलकिस पांच महीने की गर्भवती थीं। दंगाइयों की हैवानियत के बाद बिलकिस करीब तीन घंटे तक बेहोश रही थी।