नई दिल्ली, एक्साइज घोटाले मामले में दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की मुश्किलें बढ़ गई है। सुबह अचानक सीबीआई ने सिसोदिया के घर रेड मारी, जो अब तक जारी है।
जानकारी के मुताबिक इसके अलावा एक सरकारी अधिकारी के निवास पर भी सीबीआई ने छापेमारी की, खबरों की मानें को वहां से एजेंसी को कई गोपनीय दस्तावेज मिले हैं।
उधर, इस पूरे मामले में सीबीआई ने एक FIR भी दर्ज की है, उसमें मुख्य आरोपी भी मनीष सिसोदिया को बना दिया गया है। बता दें कि, इस FIR में कुल 15 लोगों के नाम सामने आए हैं, जिसमें सबसे पहले नंबर पर मनीष सिसोदिया का नाम है। उनके अलावा आबकारी अधिकारियों, शराब कंपनी के अधिकारियों, डीलरों के साथ अज्ञात लोक सेवकों और निजी व्यक्तियों के नाम शामिल हैं। दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया पर नई एक्साइज ड्यूटी में गड़बड़ी करने का आरोप है।
प्राथमिकी के अनुसार, सिसोदिया के अलावा, सीबीआई ने तत्कालीन आयुक्त, आबकारी, अरवा गोपी कृष्ण, तत्कालीन उपायुक्त, आबकारी, आनंद तिवारी, तत्कालीन सहायक आयुक्त (आबकारी), पंकज भटनागर, मनोरंजन और कार्यक्रम प्रबंधन कंपनी ओनली मच लाउडर के पूर्व सीईओ विजय नायर, पर्नोड रिकार्ड के पूर्व कर्मचारी मनोज राय, ब्रिंडको सेल्स प्राइवेट के निदेशक अमनदीप ढाल, इंडोस्पिरिट ग्रुप के प्रबंध निदेशक समीर महेंद्रू, बड्डी रिटेल प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक अमित अरोड़ा, महादेव लिकर के अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता सनी मारवाह, तीन निजी व्यक्ति अरुण रामचंद्र पिल्लई, अर्जुन पांडे, और दिनेश अरोड़ा और दो निजी फर्म, बडी रिटेल प्राइवेट लिमिटेड, और महादेव लिकर का नाम है।
सीबीआई की छापेमारी अभी भी सात राज्यों में 21 जगहों पर उस मामले के सिलसिले में जारी है जहां आरोप है कि शराब कारोबारियों को कथित तौर पर 30 करोड़ रुपये की छूट दी गई थी, लाइसेंस धारकों को कथित तौर पर उनकी इच्छा के अनुसार विस्तार दिया गया था, और आबकारी नियमों का उल्लंघन कर नीति बनाई गई थी।
दरअसल मनीष सिसोदिया के खिलाफ सीबीआई जांच की सिफारिश एलजी वीके सक्सेना ने मुख्य सचिव की रिपोर्ट के आधार पर की थी। आज तक के मुताबिक मुख्य सचिव ने दो महीने पहले अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। इस रिपोर्ट में GNCTD एक्ट 1991, ट्रांजेक्शन ऑफ बिजनेस रूल्स 1993, दिल्ली एक्साइज एक्ट 2009 और दिल्ली एक्साइज रूल्स 2010 के नियमों का उल्लंघन पाया गया था। सिसोदिया पर कोरोना के बहाने लाइसेंस देने में नियमों की अनदेखी का भी आरोप लगाया गया है। खबर है कि टेंडर के बाद शराब ठेकेदारों के 144 करोड़ रुपए माफ किए गए।