नई दिल्ली, (रुखसार अहमद) अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय ने पाकिस्तान और इजिप्ट के दो लेखकों की किताबों को सिलेबस से हटा दिया है। ये किताबें इस्लामिक स्टडीज विभाग के पाठ्यक्रम में शामिल थी।
पाकिस्तानी लेखक मौलाना अबुल आला मौदूदी और इजिप्ट के सैयद कुतुब की सभी किताबें सिलेबस से हटाने का फैसला लिया है। अभी तक इन किताबों से एएमयू की बीए और एमए कक्षाओं में पढ़ाया जाता रहा है।
खबर के मुताबिक, हिंदुत्व कार्यकर्ता और नफरत फैलाने वाले मधु किश्वर ने कुछ अन्य हिंदुत्व शिक्षाविदों के साथ मिलकर प्रधानमंत्री मोदी को हाल ही में एक पत्र लिखकर इन किताबों को हटाने की मांग की थी। इन किताबों को इस्लामी अध्ययन विभाग के पाठ्यक्रम में शामिल किया गया था और एएमयू के बीए और एमए कक्षाओं में पढ़ाया जाता था। इसके साथ ही इजिप्ट के एक अन्य स्कॉलर सय्यद कुतुब की किताबों को भी सिलेबस से हटा दिया है।
एएमयू प्रशासन ने ये फैसला देश कि विभिन्न शिक्षाविदों द्वारा मोदी को पत्र लिखे जाने के बाद लिया है। जिसमें इन लेखकों की किताबों से छात्रों को नहीं पढ़ाए जाने की मांग की गई थी।
दऱअसल मधु किश्वर समेत देश के 20 से ज्यादा शिक्षाविदों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा था। जिसमें शिक्षाविदों ने एएमयू, जामिया मिलिया इस्लामिया और हमदर्द यूनिवर्सिटी सहित राज्यों के अनुदान से चलने वाली कई विश्वविद्यालयों में मौलाना अबुल आला मौदूदी और इजिप्ट के सैयद कुतुब की किताबों द्वारा पढ़ाई कराए जाने पर एतराज जताया था।
बता दें अबुल आला मौदूदी एक इस्लामी विद्वान जो ब्रिटिश भारत में सक्रिय था और बाद मे वह हिंदूस्तान*पाकिस्तान विभाजन के दौरान पकिस्तान में चले गए थे। वह जमात-ए-इस्लामी के संस्थापक थे। मिस्र के लेखक,इस्लामी विद्वान और क्रांतिकारी कुतुब 1950 और 1960 के दशक में मिस्र के मुस्लिम ब्रदरहुड के प्रमुख सदस्य थे।