जानिए, लखीमपुर हिंसा घटनाक्रम में अब तक क्या-क्या हुआ है…

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नई दिल्ली:  लखीमपुर ज़िला मुख्यालय से क़रीब 75 किलोमीट दूर नेपाल की सीमा से सटे तिकुनिया गाँव में हुई हिंसा और आगज़नी में अब तक 9 लोगों की मौत हो गई है। चार अन्य लोगों में दो बीजेपी कार्यकर्ता और दो ड्राइवर हैं। इनके अलावा 12 से 15 लोग घायल भी हैं।

मरने वाले किसानों में दलजीत सिंह (35), गुरवेंद्र सिंह (18), लवप्रीत सिंह (20) और नक्षत्र सिंह (55) शामिल हैं ।तिकुनिया की इस घटना में साधना न्यूज़ चैनल के निघासन तहसील संवाददाता रतन कश्यप की भी कवरेज करने के दौरान मौत हो गई है। गाड़ी की ज़ोरदार टक्कर से वो सड़क किनारे पानी में जा गिरे थे वो बीजेपी से भी जुड़े हुए थे।

मारे गए किसानों के शवों को लेकर प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों और प्रशासन के बीच समझौता हो गया है। दरअसल किसानों ने चार मांगें प्रशासन के आगे रखी थीं जिनमें से कुछ मांगों पर सहमति बनी है। इनमें मृतक किसानों के आश्रितों को नौकरी, 8 दिन में आरोपियों की गिरफ़्तारी, मृतक के परिजनों को 45-45 लाख रुपये और घायलों को 10-10 लाख रुपये का मुआवज़ा और घटना की न्यायिक जांच पर समझौता हो गया है।

3 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य पहले से तय कार्यक्रम के मुताबिक़ लखीमपुर खीरी के दौरे पर थे, जहाँ ज़िले के वंदन गार्डन में उन्हें सरकारी योजनाओं का शिलान्यास करना था।

संयुक्त किसान मोर्चा ने उपमुख्यमंत्री और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के विरोध और काफ़िले के घेराव की कॉल दी थी जिसमें लखीमपुर और उत्तर प्रदेश के तराई इलाके के दूसरे ज़िलों से किसानों को शामिल होने आह्वान किया गया था।

लगभग एक से डेढ़ बजे के बीच में केशव प्रसाद मौर्य और अजय मिश्र लखीमपुर ज़िला मुख्यालय से योजनाओं का शिलान्यास कार्यक्रम ख़त्म करके नेपाल बॉर्डर पर टेनी के गाँव बनवीरपुर के लिए रवाना हुए जो तिकुनिया से महज़ चार किलोमीटर की दूरी पर है।

तिकुनिया के एक प्राइमरी स्कूल में 2 अक्टूबर को हुए दंगल के विजेताओं का पुरस्कार समारोह था। अजय मिश्र को केंद्रीय मंत्री बनाए जाने के सम्मान में इस बार का कार्यक्रम ज़्यादा बड़ा और भव्य था। इसीलिए उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य उसके मुख्य अतिथि थे।

लेकिन स्थानीय किसानों ने मंत्री अजय मिश्र टेनी का विरोध करने की ठान रखी थी। कुछ दिन पहले लखीमपुर के सम्पूर्णानगर के एक किसान सम्मेलन में मंत्री अजय मिश्र मंच से किसानों को धमकाते नज़र आये थे। उन्होंने काले झंडे दिखाने वाले किसानों को चेतावनी देते हुए कहा था, “मैं केवल मंत्री नहीं हूँ या सांसद विधायक नहीं हूँ। जो मेरे सांसद और विधायक बनाने से पहले मेरे विषय में जानते होंगे, उनको यह भी मालूम होगा कि मैं किसी चुनौती से भागता नहीं हूँ।

“और जिस दिन मैंने उस चुनौती को स्वीकार करके काम कर लिया, उस दिन पलिया नहीं, लखीमपुर तक छोड़ना पड़ जायेगा, यह याद रखना। इस तरीके के तल्ख़ बयानों के बाद किसानों में ख़ासा गुस्सा था और उन्होंने 29 सितम्बर को लखीमपुर के खैरटिया गांव में एक प्रतिज्ञा समारोह में एलान किया कि वो शांतिपूर्ण ढंग से अपना विरोध जताते रहेंगे।

रविवार सुबह से ही सैकड़ों किसान तिकुनिया के महाराजा अग्रसेन इंटर कॉलेज पहुँच गए और स्कूल में बने हेलीपैड को घेर लिया। वे लोग “भारत माता की जय” के नारे लगाते रहे और काले झंडों के साथ विरोध शुरू कर दिया।

बाद में जब ख़बर फैली कि मंत्री सड़क के रास्ते गाँव पहुँच रहे हैं तो किसान तिकुनिया से बनवीरपुर की सरहद पर गाड़ियों से रास्ता रोक कर बैठ गए। तक़रीबन डेढ़ से ढाई बजे के बीच में तीन गाड़ियों का एक छोटा काफ़िला तिकुनिया पहुंचा. अजय मिश्र टेनी और उनके पुत्र आशीष मिश्र के मुताबिक़ ये काफ़िला उप मुख्यमंत्री के बड़े काफ़िले को बनवीरपुर गाँव तक लाने के लिए पास के एक रेलवे फाटक के लिए रवाना हुआ था। और फिर ये तीनों गाड़ियां तिकुनिया जा पहुँचीं जहाँ किसान उप-मुख्यमंत्री के सरकारी काफ़िले का इंतज़ार कर रहे थे।

वहीं संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं का आरोप है कि गाड़ियों ने किसानों को तेज़ी से भीड़ पर चला कर रोंधना शुरू कर दिया जिसमें चार किसान कुचल कर मर गए और लगभग एक दर्जन लोग घायल हो गए। तमाम वायरल वीडियो में एक-दो किसानों के शव सड़क के किनारे दिख रहे हैं। किसान नेताओं का आरोप है कि मंत्री के पुत्र आशीष मिश्रा भी उस वक़्त गाड़ी में मौजूद थे और उन्होंने एक किसान को गोली भी मारी।

प्रदर्शन में शामिल और हादसे के चश्मदीद संयुक्त मोर्चा के सदस्य पिंडर सिंह सिद्धू ने बताया, “सब माहौल ठीक था, क़रीब ढाई बजे अजय मिश्र जी का बेटा कुछ गुंडों के साथ आया और जो किसान वहाँ अपने झंडे लेकर घूम रहे थे उन पर अपनी गाड़ी चढ़ा दी। उनके लड़के ने गोली भी चलाई।

“बहुत दुखद घटना थी. हमारे चार किसान भाई शहीद हो गए हैं। जिन किसानों ने वोट दिया है उनके प्रदर्शन पर गाड़ी चढ़ाना, रौंदना कहां की संस्कृति है, ये सत्ता का नशा है। मंत्री अजय मिश्र ने जो चैलेंज दिया है उसका जवाब लोग हर घर से निकलकर देंगे।

हालांकि अजय मिश्र के बेटे आशीष मिश्र ने इन आरोपों से साफ़ इंकार किया है। उनका कहना है कि अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए वो सबूत पेश करेंगे।

लेकिन वायरल वीडियो में किसानों का हिंसात्मक रिएक्शन भी क़ैद हुआ है। वीडियो में आक्रोशित भीड़ एक जीप पर लाठियां बरसा रही है और गाड़ी से बाहर गिरे दो लोगों को भी लाठियों से मार रही है।

भीड़ गाड़ी को पलट कर सड़क से नीचे धकेल देती है। इस हिंसा और हमले के बाद का मंज़र कुछ तस्वीरों में क़ैद हुआ जिसमें सड़क के किनारे दो लाशें पड़ी थीं और उसके इर्द-गिर्द किसान खड़े हुए थे।

 

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