संघ परिवार की विभाजनकारी दास्तान को इतिहास के रूप में थोपने की कोशिशः पॉपुलर फ्रंट

प्रेस रिलीज़
31 अगस्त 2021

नई दिल्लीः पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के चेयरमैन ओ एम ए सलाम ने अपने बयान में कहा कि संघ परिवार अपनी मनगढ़ंत विभाजनकारी दास्तान को देश की जनता पर इतिहास के रूप में थोपने का प्रयास कर रहा है।

उन्होंने कहा कि आरएसएस ने अतीत के बारे में एक ऐसी विभाजनकारी दास्तान तैयार की है जिसका वास्तव में कोई आधार नहीं है और अब वह उसे ऑफिशियल चैनलों से भारतीय इतिहास के रूप में आगे बढ़ा रहा है। इससे पहले उन्होंने प्राचीन भारत के इतिहास में काट-छांट करके उसे पूरी तरह से हिंदू-मुस्लिम विवादों की कहानी की तरह बयान करने की कोशिश की और अब वे भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास के साथ भी छेड़छाड़ कर रहे हैं। संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार और इंडियन काउंसिल ऑफ हिस्टोरिकल रिसर्च (आईसीएचआर) द्वारा संयुक्त रूप से प्रकाशित ‘‘भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के शहीदों की डिक्शनरी’’ से 387 मप्पिला योद्धाओं के नाम हटाने का फैसला अत्यंत निराशाजनक है। भारत और स्वतंत्रता संग्राम में मुसलमानों के योगदान को चुनकर अलग करना इतिहास के विपरीत मुसलमानों को विलन की तरह पेश करने की साज़िश का हिस्सा है।

आईसीएचआर की ओर से उसके ‘‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’’ के जश्न के तहत प्रकाशित पोस्टर से जवाहरलाल नेहरू को निकालना फर्ज़ी कहानी गढ़ने का एक और नापाक उदाहरण है। यह कोई संयोग नहीं है कि जहां नेहरू का नाम हटाया गया, सावरकर ने वह जगह ले ली, जबकि सावरकर एक गद्दार था जिसने जेल से रिहाई के लिए स्वतंत्रता संग्राम के साथ धोखा किया था। अब हमें स्वतंत्रता सेनानियों के रूप में एक ही पोस्टर में गांधी और सावरकर को देखने पर मजबूर किया जा रहा है, जो बेहद बेतुका है।

भारत का इतिहास तो विभिन्न वर्गों का शांतिपूर्ण तरीके से मिलजुल कर रहने और यहां की रंगारंगी का है। इस देश को आज़ादी तब मिली जब देश के हर वर्ग ने अपने मतभेदों को अलग रखकर औपनिवेशिक ताकतों के खिलाफ कंधे से कंधा मिलाकर लड़ाई लड़ी। इस हकीकत से सब वाकिफ हैं कि जब असल देशप्रेमी अपना खून पसीना बहाकर और अपनी जानें देकर अंग्रेज़ों से लड़ रहे थे, उस वक्त संघ परिवार के नेता और विचारक लोगों को इससे रोकने और इस देश की जनता के बीच अंदरूनी फूट पैदा करने में लगे हुए थे। यह हकीकत उन्हें पानी-पानी कर देती है जिसे वे अपने रास्ते की बड़ी रुकावट समझते हैं। इसी कारण अब वे यह मनगढ़ंत इतिहास गढ़ रहे हैं। अगर इस प्रकार की विभाजनकारी दास्तान इतिहास के रूप में नई पीढ़ी तक पहुंचती है, तो यह कभी खत्म न होने वाली सांप्रदायिक दुश्मनी का कारण बनेगी।

पॉपुलर फ्रंट देश की सेक्युलर ताकतों से अपील करता है कि वे इस विभाजनकारी दास्तान को इतिहास के रूप में थोपने कि संघ परिवार की कोशिश को बेनकाब और रद्द करें। साथ ही पॉपुलर फ्रंट केंद्र सरकार से यह मांग करती है कि वह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के शहीदों की डिक्शनरी में मालाबार मप्पिला योद्धाओं के नाम बरकरार रखे।

डायरेक्टर, मीडिया व जनसंपर्क
मुख्यालय, पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया,
नई दिल्ली

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शम्स तबरेज़ क़ासमी मिल्लत टाइम्स ग्रुप के संस्थापक एंड चीफ संपादक हैं, ग्राउंड रिपोर्ट और कंटेंट राइटिंग के अलावा वो खबर दर खबर और डिबेट शो "देश के साथ" के होस्ट भी हैं सोशल मीडिया पर आप उनसे जुड़ सकते हैं Email: stqasmi@gmail.com