नई दिल्ली :(मिल्लत टाइम्स )उत्तर प्रदेश शिया वक़्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष सैयद वसीम रिज़वी के ख़िलाफ़ मुसलिम समुदाय का विरोध तेज़ होता जा रहा है। इसका कारण यह है कि रिज़वी ने क़ुरान में से 26 आयतों को हटाने की मांग की है और इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। रिज़वी के समर्थन में दक्षिणपंथी विचारधारा से जुड़े लोग आ गए हैं जबकि मुसलिम समुदाय के लोगों का कहना है कि रिज़वी किसी के इशारे पर इस तरह की हरक़तें कर रहे हैं।
रिज़वी के ख़िलाफ़ बरेली के कोतवाली पुलिस थाने में धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने को लेकर एफ़आईआर दर्ज कराई गई है। तेलंगाना, कश्मीर सहित कई अन्य राज्यों में भी रिज़वी के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज कराई जा रही हैं और कई जगहों पर उनके ख़िलाफ़ प्रदर्शन हो रहे हैं।
इस मामले में रिज़वी का कहना है कि क़ुरान में 26 आयतें ऐसी हैं जिनसे इंसान को दूसरों से अलग होने और दूसरों का क़त्ल करने की छूट देने की शिक्षा मिलती है। रिज़वी का कहना है कि उन्होंने इस बारे में 57 मुसलिम संगठनों को पत्र भी लिखा था कि वे इन 26 आयतों के बारे में अपना विचार दें। उन्होंने कहा कि इन 26 आयतों को पढ़ने के बाद शख़्स कट्टरपंथी हो जाता है। रिज़वी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने के बाद से ही उन्हें धमकियां मिल रही हैं।
आत्महत्त्या कर लूँगा
वसीम रिज़वी ने कहा मैं हार मानने वाला नहीं हूँ ,एक वीडियो जारी करके वसीम रिज़वी ने कहा अगर मुझे लगेगा कि मैं हार रहा हूँ तो आत्महत्या कर लूँगा लेकिन पीछे नहीं हटूंगा।
आप को बता दें कि शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी के कुरान मजीद से 26 आयतों को हटाने के बयान और सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई याचिका के विरोध में रविवार को शिया व सुन्नी उलमा ने एक मंच पर आकर वसीम को इस्लाम और कुरान का दुश्मन और आतंकवादी करार देते हुये उसके सामाजिक बहिष्कार का एलान किया।
उलमा ने वसीम को मुरतद यानि दीन से खारिज बताते हुए कहा कि अब वह मुसलमान नहीं हैं, लिहाजा उन्हें मुस्लिम कब्रिस्तान में दफनाया भी नहीं जा सकता है। यहां तक कि कोई भी आलिम उसके जनाजे की नमाज भी न पढ़ाये। उलमा ने केन्द्र व राज्य सरकार को ज्ञापन प्रेषित कर वसीम को गिरफ्तार करने की मांग की। साथ ही मांग की गई कि सुप्रीम कोर्ट उसकी याचिका खारिज कर भारी जुर्माना लगाने और आतंकवाद फैलाने के जुर्म में मामला दर्ज करे। तय हुआ कि 19 मार्च को जुमे की नमाज के बाद दिल्ली की जामा मस्जिद पर शिया व सुन्नी समुदाय मिलकर बड़ी रैली करेंगे।