कुतुब मीनार परिसर में खुदाई नहीं, केंद्रीय संस्कृति मंत्री जीके रेड्डी ने खबरों का किया खंडन

नई दिल्ली : ज्ञानवापी मस्जिद  मामले के बाद अब कुतुब मीनार परिसर की खुदाई के निर्देश दिए जा चुके हैं। ASI अब यहां खुदाई का काम करेगी। रिपोर्ट के मुताबिक कुतुबमीनार के पास स्थित मस्जिद से 15 मीटर की दूरी पर खुदाई की जा सकती है, संस्कृति मंत्रालय ने शनिवार को इसके लिए हाईलेवल मीटिंग भी की।

दरअसल कुतुब मीनार को लेकर कुछ हिंदू संगठन के लोगों ने हाल ही में विवाद खड़ा किया था। हनुमान चालिसा पढ़कर परिसर के पास हंगामा भी किया था। जिसके बाद केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने कुतुब मीनार परिसर की खुदाई के निर्देश दे दिए है।

सवाल यह उठता है कि देश में मंहगाई, बेरोजगारी और अर्थव्यवस्था जैसे मुद्दो को छोड़कर ऐतिहासिक चीजें के साथ छेड़छाड़ करने की कोशिश की जा रही है। मुसलमानों के धर्मिक स्थलों पर अब हिंदू अपने भगवान होने का दवा करने लगे है। इस मामले में हिंदू संगठन का दावा है कि कुतुब मीनार असल में विष्णु स्तम्भ है और मुस्लिम आक्रांताओं ने यहां मौजूद दर्जनों जैन-हिंदू मंदिरों को तोड़ा था और वहां मस्जिद का निर्माण करवाया था।

मुस्लिम आक्रांताओं ने उस वक़्त हिन्दुओं के हौसले को तोड़ने के लिए मंदिरों में रखी भगवान की मूर्तियों को खंडित कर दिया था और उन्हें सलाखों के पीछे रख कर शैतान बताया था।

सुप्रीम कोर्ट में कुतुब मीनार में रखी भगवान गणेश की प्रतिमा को अन्यत्र स्थान में लेजाकर विधिवत स्थापित करने की याचिका लगाई गई थी। लेकिन कोर्ट ने किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ पर रोक लगा दी थी। बीते कुछ महीनों से हिंदू समर्थित दलों ने कुतुब मीनार के बाहर हनुमान चालीसा का पाठ भी शुरू कर दिया था। लोगों का कहना है कि कुतुब मीनार विष्णु स्तम्भ था और इस स्थान का नाम बदल देना चाहिए।

बता दें कि खुदाई के निर्णय से पहले संस्कृति सचिव गोविन्द सिंह मोहन ने 12 अधिकारीयों की टीम के साथ कुतुब मीनार का दौरा किया था। जिस टीम में तीन इतिहासकार, चार ASI अधिकारी और खोजी दल मौजूद था। ASI अधिकारीयों ने बताया है कि इससे पहले साल 1991 में कुतुब मीनार की खुदाई का काम हुआ था, उसके बाद अब होने जा रहा है।

 

 

 

 

 

 

 

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