फातिमा पैमान बनी ऑस्ट्रेलियाई सीनेट की पहली हिजाबी सदस्य

नई दिल्ली (रुखसार अहमद) ऑस्ट्रेलिया के संसदीय तारीख में पहली बार, एक अफगान मूल अप्रवासी मुस्लिम महिला फातिमा पैमान को ऑस्ट्रेलियाई सीनेट के लिए चुना गया है। जिस तरह मुस्लिम लड़कियों को हिजाब को लेकर बैन लगाने की मांग की गई और कहा गया कि हिजाब उनकी शिक्षा पर असर डालता है, उतना ही हिजाबी लड़कियां एक मिसाल कायम कर रही है।

हाल ही में कर्नाटक में हिजाब को लेकर मुस्लिम महिलाओं को परेशान किया गया, उन्हें कई स्कूलों में परीक्षा देने से रोका गया, लेकिन कर्नाटक की इल्हम ने स्कूल में दूसरे स्थान हासिल करके उन लोगों के मुंह पर तमाचा जड़ा है,जो कहते हिजाब मुस्लिम लड़कियों को कमजोर बनता है।

वहीं अब फातिमा पैमान ने कर दिखाया हिजाब कभी भी लड़कियों की कमजोरी नहीं रहा है। ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथोनी अल्बानीज ने ट्वीट कर फातिमा पैमान को सीनेट का सदस्य बनने पर मुबारकबाद पेश की। इससे पहले 20 जून को ऑस्ट्रेलियाई चुनाव आयोग ने घोषणा की कि फातिमा पैमान ने सीनेट का चुनाव जीत लिया है। फातिमा पैमान को ऑस्ट्रेलिया में अफगान दूतावास ने भी सीनेट के सदस्य के रूप में उनके चुनाव पर बधाई दी।

जानिए कौन है फातिमा पैमान

बता दें ऑस्ट्रेलियाई सीनेट के लिए चुनाव लड़ने से पहले, फातिमा पैमान ने लेबर पार्टी की वेबसाइट पर अपने परिचय में लिखा: “मेरा नाम फातिमा पैमान है। मैं अफगान मूल की एक ऑस्ट्रेलियाई मुस्लिम हूं और मेरी सांस्कृतिक जड़ें अफगानिस्तान से हैं” मैं अपने माता-पिता के चार बच्चों में सबसे बड़ी हूं।

ऑस्ट्रेलिया के उत्तरी शहर पर्थ में पली बढ़ी। ऑस्ट्रेलियाई मीडिया के अनुसार, पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के पर्थ की 27 साल की फातिमा पैमान सीनेट की पहली हिजाब पहनने वाली मुस्लिम सदस्य हैं। जानकारी के मुताबिक, फातिमा पेमन आठ साल की थीं जब वह अपनी मां और छोटे भाई-बहनों के साथ ऑस्ट्रेलिया आई थीं।

उसके पिता ऑस्ट्रेलिया में शरणार्थी के रूप में काम करते थे। फातिमा पैमान का कहना है कि उन्होंने अपने पिता से कड़ी मेहनत करना और साबित कदम रहना सीखा है। उन्होंने कहा, “2019 में मेरे पिता की कैंसर से मृत्यु के बाद से, मैं अपने पिता जैसे लोगों और मेहनती ऑस्ट्रेलियाई आदमियों तक पहुंचा हूं, जो जीवनयापन करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

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