नई दिल्ली: (रुखसार अहमद) जमीयत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के नवनियुक्त उपाध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने देश में बढ़ती सांप्रदायिकता पर चिंता जताई है।
उन्होंने कहा कि सांप्रदायिकता की इस लड़ाई में सभी वर्गों को शामिल करना जरूरी है और नफरत के माहौल को खत्म करने के लिए एकजुट होकर मैदान में आना पड़ेगा।
बुधवार को जारी बयान में मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि देश में बढ़ती हुई खतरनाक सांप्रदायिकता के संबंध में जो बातें सामने आई हैं, उनको लेकर सरकार की जो सोच और व्यवहार है और जिस तरह उन चीजों को पूरे देश में प्रस्तुत किया जा रहा है वो नफरत और पक्षपात पर आधारित है।
उन्होंने कहा नफरत को रोकने के लिए हमारे पास कोई ताकत नहीं है, लेकिन इसके उलट जो लोग ऐसा कर रहे हैं, उनके पास सत्ता की ताकत है।
मगर आज भी ऐसी निराशाजनक स्थिति में आशा और विश्वास के चिराग रौशन हैं। देश का एक बड़ा वर्ग ऐसा है जो देश की वर्तमान स्थिति को गलत समझता है।
एक विशेष वर्ग के खिलाफ पिछले कुछ सालों से जो कुछ हो रहा है उसे वो अच्छी नजर से नहीं देखता, वो यह भी समझता है कि इस प्रकार की चीजें देश के लिए बहुत नुकसान पहुंचा सकती है।
मौलाना मदनी ने कहा सांप्रदायिकता के खिलाफ जंग में हम अकेले सफलता प्राप्त नहीं कर सकते। हमें न केवल उस वर्ग को बल्कि समाज के सभी समान विचारधारा के लोगों को अपने साथ लाना होगा।
Fighting sectarianism is responsibility of all sections of society, not Muslims alone
“we cannot win the war against sectarianism alone.We have to bring together all secular-minded people of the society.We have to come together to put out this fire of hatred and sectarianism.— Arshad Madani (@ArshadMadani007) November 25, 2021
नफरत और सांप्रदायिकता की इस आग को बुझाने के लिए हमें मिल जुलकर आगे आना होगा। अगर हम ऐसा करेंगे तो कोई कारण नहीं कि सांप्रदायिक ताकतों को पराजित न कर सकें।
मौलाना मदनी ने कहा सांप्रदायिकता के खिलाफ जंग में हम अकेले सफलता प्राप्त नहीं कर सकते। हमें न केवल उस वर्ग को बल्कि समाज के सभी समान विचारधारा के लोगों को अपने साथ लाना होगा। नफरत और सांप्रदायिकता की इस आग को बुझाने के लिए हमें मिल जुलकर आगे आना होगा। अगर हम ऐसा करेंगे तो कोई कारण नहीं कि सांप्रदायिक ताकतों को हरा ना सकें।
मौलाना अरशद मदनी का आरोप है कि सांप्रदायिकता और नफरत का यह खेल दक्षिण की तुलना में उत्तरी भारत में अपने चरम पर है। इसका मूल कारण राजनीतिक हित है।
भड़काऊ भाषण और ऊटपटांग बयानों से समाज के स्तर पर सांप्रदायिक गोल बंदी की साजिश हो रही है, ताकि बहुसंख्यक को अल्पसंख्यक से बिल्कुल अलग करके अपनी नापाक योजनाओं में सफलता प्राप्त कर ली जाए।
उन्होंने कहा नफरत और सांप्रदायिकता की आग भड़काने वाले मुट्ठी भर लोग ही हैं, लेकिन वह शक्तिशाली इसलिए हैं कि उन्हें सत्ता में उपस्थित लोगों का संरक्षण प्राप्त है।