नई दिल्ली : (रुखसार अहमद) सुप्रीम कोर्ट ने UAPA से जुड़े मामले में केरल के दो छात्रों को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने माओवादी लिंक के आरोपों के चलते जेल में बंद थवाहा फसल को जमानत दे दी है। वहीं, दूसरे छात्र एलन शुहैब की जमानत बरकरार रखी है। इस मामले में जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस एएस ओका की बेंच ने 23 सितंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने कथित माओवादी संबंधों को लेकर केरल के इन दोनों छात्रों पर यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया था। केरल के छात्र थवाहा फैजल और एलन शुहैब पर यूएपीए के तहत आरोप लगाए गए थे। पुलिस और एनआईए का कहना था कि ये दोनों छात्र प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) से जुड़े हुए थे। नवंबर 2019 में इनकी गिरफ्तारी के समय शुहैब और फैजल 19 और 23 साल के थे।
सुप्रीम कोर्ट ने 23 सितंबर को एनआईए से पूछा था कि क्या किसी तरह की संदिग्ध साहित्यिक सामग्री मिलने, प्रतिबंधित संगठन की सदस्यता और नारे लगाने के लिए यूएपीए की धारा लगाई जा सकती है?
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा था, ‘ये 20 से 25 साल की उम्र के लड़के हैं। इनके पास से कुछ सामग्री मिली है। क्या किसी तरह के अनुमान के आधार पर उन्हें जेल में डाला जा सकता है? आपके अनुसार अगर इन लोगों के पास से या इनके घरों से किसी तरह की आपत्तिजनक सामग्री मिलती है तो आप निष्कर्ष लगा सकते हैं कि ये सक्रिय रूप से इन आतंकी संगठनों में शामिल थे?’
जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस एएस ओका की पीठ ने केरल हाईकोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें फैजल की जमानत खारिज कर दी गई थी।
अदालत ने कहा था कि उनके पास से मिली सामग्री गंभीर प्रकृति की थी और इससे उनका दोष सिद्ध हुआ। यह भी कहा गया था कि फैजल ने कथित तौर पर माओवादी नारे लगाए थे, जो दोषपूर्ण थे।
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, अदालत ने निर्देश दिया था कि फैजल को जमानत संबंधी औपचारिकताएं पूरी करने के लिए एनआईए की निचली अदालत के समक्ष पेश किया जाए और सितंबर 2020 में कोच्चि में एनआईए की विशेष अदालत द्वारा पारित जमानती आदेश की शर्तों का पालन किया जाए।
फैजल की ओर से केस लड़ रहे वरिष्ठ अधिवक्ता जयंत मुथ राज ने कहा कि एनआईए की चार्जशीट से यह सिद्ध नहीं हुआ है कि फैजल ने किसी तरह माओवादी समूह की गतिविधियों को बढ़ाने का प्रयास किया था।
राज ने यह भी बताया कि एनआईए ने यूएपीए की धारा 20 चार्जशीट से हटा दी, जो प्रतिबंधित आतंकी समूह की सदस्यता से जुड़े अपराध से संबंधित है।
सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली एनआईए की याचिका को खारिज कर दिया। केरल हाईकोर्ट ने अपने फैसले में माओवादियों के साथ कथित लिंक को लेकर यूएपीए के तहत दर्ज मामले में एलन शुहैब को जमानत देने के निचली अदालत के फैसले की पुष्टि की थी।
हाईकोर्ट की खंडपीठ ने शुहैब की कम उम्र और स्वास्थ्य को देखते हुए उसकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी। शुहैब की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता आर. बसंत ने कहा, ‘धारा 38 और 39 के तहत अपराध की मंशा केवल किताबों या पैम्फलेट से नहीं इकट्ठा की जा सकती।
एनआईए की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि ये सामग्री आपत्तिजनक थी और इससे उनके माओवादियों की आतंकी गतिविधियों से करीबी संबंधों का पता चलता है।
इससे पहले एनआईए ने साक्ष्यों के तौर पर जो दस्तावेज पेश किए थे, जिनमें पश्चिमी घाटों में पारिस्थितिकी की रक्षा करने के लिए माधव गाडगिल समिति की रिपोर्ट को लागू करने की मांग, आदिवासी हितों की रक्षा करने, ग्रेट रशियन रिवोल्यूशन नाम की किताब, माओ त्से सुंग, चे ग्वेरा और कश्मीरी अलगाववादी नेता एसएएस गिलानी की तस्वीरें और मार्क्सवादी विचारधारा और इस्लाम विचारधारा का प्रचार करने वाली किताबें शामिल हैं.