अब्दुर्रहमान को सुप्रीम कोर्ट ने ‘आतंकी’ केस से किया बरी, 15 साल पहले कर्नाटक पुलिस ने किया था गिरफ्तार

नई दिल्ली : (रुखसार अहमद),  साल 2006 में कर्नाटक पुलिस ने अब्दुर्रहमान को आतंकी बताते हुए गिरफ्तार कर लिया था। लेकिन 15 साल जेल में रखने के बाद भी एजेंसियां उसे आतंकी साबित नही कर पाई। इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में की गई। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए अब्दुर्रहमान को रिहा करने का आदेश दे दिया है।

लेकिन @ndtvindiaभारत समाचार अपनी खबरों इसे आंतकी लिख रहा है। सवाल यह है की जब कोर्ट ने कह दिया अब्दुर्रहमान पर लगे आरोप गलत है और वह 15 साल की सजा भी काट चुके है तो मीडिया उसे आंतकी क्यों लिख रहा है। इस मामले को लेकर सोशल मीडिया पर कड़ी आलोचना की जा रही है, आखिर अब्दुर्रहमान को आंतकी क्यों लिखा जा रहा है।

जब कोर्ट ने ही उसे रिहा करने के आदेश दे दिए है तो कैसा वह आंतकी हुआ। ऐसा इसलिए क्योंकि वह मुस्लिम है। बता दें 2006 में अब्दुर्रहमान को पिस्तौल और हेंड ग्रेनेड के साथ गिरफ्तार कर लिया था। वह इस आरोप में 15 साल की सजा भी काट चुके हैं। ट्रायल कोर्ट ने 2010 में उसके खिलाफ लगाई गई गैर-कानूनी गतिविधि अधिनियम यानी यूएपीए की धाराओं को हटा दिया था। जांच एजेंसी ये साबित नहीं कर पाई थी कि वो लश्कर का आतंकी है।

हालांकि उसे राजद्रोह, आर्म्स एक्ट और एक्सप्लोसिव एक्ट के तहत दोषी करार देकर उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। 2016 में कर्नाटक हाईकोर्ट ने इस मामले में राजद्रोह और भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने की धाराओं को भी हटा दिया गया। जब यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो सिर्फ सजा के मुद्दो पर विचार किया गया।

जस्टिस एल नागेश्वर रॉव, जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच ने दोषी के वकील फर्रुख रशीद के माध्यम से वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ दवे की दलीलें सुनीं। कर्नाटक सरकार का भी पक्ष सुना। अपना फैसला सुनाते हुए अदालत ने कहा कि दोषी पहले ही 15 साल से ज्यादा का समय जेल में बिता चुका है, इसलिए जेल में गुजारे इसी वक्त को सजा मान लिया जाए और अब उसे जेल से रिहा कर दिया जाए।

 

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शम्स तबरेज़ क़ासमी मिल्लत टाइम्स ग्रुप के संस्थापक एंड चीफ संपादक हैं, ग्राउंड रिपोर्ट और कंटेंट राइटिंग के अलावा वो खबर दर खबर और डिबेट शो "देश के साथ" के होस्ट भी हैं सोशल मीडिया पर आप उनसे जुड़ सकते हैं Email: stqasmi@gmail.com