पहली बार बिहार विधान सभा चुनावों में प्रचार नहीं करेंगे लालू प्रसाद यादव, सारी जिम्मेदारी तेजस्वी के काँधे पर

नई दिल्ली (असरार अहमद) राष्ट्रीय जनता दल (Rashtriya Janta Dal) के अध्यक्ष लालू यादव (Lalu Yadav) को चारा घोटाले के एक और मामले में ज़मानत मिल गई है लेकिन दुमका कोषागार के एक मामले में उन्हें जमानत नहीं मिली हैं इसलिए उन्हें अपने रिहाई के लिए अभी और इंतज़ार करना होगा. इस मामले में सजा की पचास प्रतिशत अगले महीने यानी 9 नवम्बर को पूरा होगा. इसलिए, ९ नवंबर तक लालू प्रसाद यादव को जेल में ही रहना होगा. राष्ट्रीय जनता दल के नेता और कार्यकर्ता अब यह मानकर चल रहे हैं कि पहली बार बिहार विधान सभा चुनाव (Bihar Assembly Electionn) में लालू यादव प्रचार अभियान के लिए मौजूद नहीं होंगे .ऐसा४० साल में पहली बार होगा की लालू यादय बिहार विधान सभा की चनावी राजनीती में नहीं होंगे और चुनाव प्रचार की साड़ी जिम्मेदारी उनके बेटे तेजस्वी यादव के कंधे पर होगी अब देखना यह होगा की तेजस्वी पार्टी में कितना दम ख़म और जोश भर सकते है क्यों की उनके पिता इस बार इनके साथ नहीं होंगे
लालूप्रसाद यादव ने पहली बार लोक सभा चुनाव 1977 में लड़ा था. उसमें उन्हें जीत हासिल हुई थी. 1990 में वो राज्य के मुख्यमंत्री बने. 1990 के बिहार विधान सभा चुनाव से पहले लालू यादव जनता दल और उसके बाद राष्ट्रीय जनता दल के ना सिर्फ स्टार प्रचारक रहे बल्कि चुनाव प्रबंधन का पूरा ज़िम्मा उन्हीं के कंधे पर होता था. इस बार विधान सभा चुनाव की ये सारी जिम्मेदारी तेजस्वी यादव के कंधों पर आ गई है. हालाँकि इन साड़ी चीजों का वोटर पर कोई ख़ास असर नहीं होता लेकिन महागठबंधन के प्रत्याशियों का कहना है कि लालू यादव की मौजूदगी सबको खलती है. लोगों से संवाद का लालू जी का तरीका अलग ही होता था.

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शम्स तबरेज़ क़ासमी मिल्लत टाइम्स ग्रुप के संस्थापक एंड चीफ संपादक हैं, ग्राउंड रिपोर्ट और कंटेंट राइटिंग के अलावा वो खबर दर खबर और डिबेट शो "देश के साथ" के होस्ट भी हैं सोशल मीडिया पर आप उनसे जुड़ सकते हैं Email: stqasmi@gmail.com