प्रवासी कश्मीरी पंडितों के संगठन ने हैदरपोरा मुठभेड़ को बताया ‘हत्याकांड’, न्यायिक जांच की मांग की

Srinagar

नई दिल्ली: (रुखसार अहमद) श्रीनगर जिले के हैदरपोरा हुई मुठभेड़ को प्रवासी कश्मीरी पंडितों के एक संगठन ने ‘हत्याकांड’ करार दिया है। उन्होंने इस घटना में न्यायिक जांच की मांग की है। प्रवासी कश्मीरी पंडितों के सुलह, वापसी और पुनर्वास मामलों से जुड़े संगठन के अध्यक्ष सतीश महलदार के अनुसार, “हैदरपोरा की घटना स्पष्ट रूप से हत्याकांड का मामला नजर आ रहा है।

सोमवार की मुठभेड़ में मारे गए चार लोगों में से दो के परिवार ने पुलिस के बयान का स्पष्ट रूप से खंडन किया है।” सतीश महलदार ने दावा करते हुए कहा, “यह हत्या एक इंसान की दूसरे द्वारा द्वेष के साथ की गई अन्यायपूर्ण हत्या है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद का स्पष्ट रूप से मानवाधिकारों पर बहुत वास्तविक और प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है, जिसके पीड़ितों के जीवन, स्वतंत्रता और शारीरिक अखंडता के अधिकार पर विनाशकारी परिणाम होते हैं। उन्होंने आगे कहा कि इतना ही नहीं, आतंकवाद नागरिक समाज को भी कमजोर करता है, शांति और सुरक्षा को खतरे में डालता है और यह कश्मीर के सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए खतरा है। महलदार ने कहा कि इन सभी ने प्रत्येक कश्मीरी के मानवाधिकारों पर वास्तविक प्रभाव डाला है।

उन्होंने कहा, “आपराधिक कानून का अंतिम उद्देश्य दूसरों के आक्रमण के खिलाफ व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार की सुरक्षा है- कानूनविहीन अपराधियों के खिलाफ कमजोरों की सुरक्षा।”
उनका कहना है कि हैदरपोरा की घटना पूर्ण स्वार्थ, लालच और असहिष्णुता का मामला प्रतीत होता है, जिसके कारण अन्य नागरिकों को जीवन, स्वतंत्रता और संपत्ति से वंचित होना पड़ा और राज्य को नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए कदम उठाने की आवश्यकता है।

महलदार ने कहा, “अगर लोग देवदूत होते तो कोई सरकार आवश्यक नहीं होती।” उन्होंने जोर देते हुए कहा कि यह जीवन और संपत्ति के मूल अधिकारों की रक्षा करना सरकार का प्राथमिक कार्य है। उन्होंने कहा कि राज्य को व्यक्तियों को अराजकता, अव्यवस्थित व्यवहार, हिंसक कृत्यों और दूसरों के कपटपूर्ण कार्यों से सुरक्षा प्रदान करनी होती है। सरकार द्वारा नागरिकों के मूल अधिकारों की सुरक्षा के बिना स्वतंत्रता का अस्तित्व नहीं हो सकता।

वहीं सतीश महलदार ने मांग की है कि जम्मू-कश्मीर पुलिस के महानिदेशक हैदरपोरा घटना की तथ्यों पर आधारित जांच करने के लिए पांच सदस्यों- एक वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, दो डिप्टी एसपी और दो निरीक्षकों की एक जांच टीम का गठन करें। बता दें सुरक्षाबलों पर मुदस्सर गुल और अल्ताफ अहमद की बेरहमी से हत्या करने का आरोप है।

अल्ताफ की बेटी का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। जिसमें वह बताती है की उसके वालिद को पुलिस ने उनसे चाचेरे भाई के सामने मार दिया और उसने जब पूछा अकंल आपने ऐसा क्यों किया तो वह बेशर्मों की तरह हंस रहे थे।

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