नई दिल्ली .मोहम्मद दानिश…परिवर्तन ही सृष्टि का नियम है, या हम यूं कहें कि सृष्टि ही परिवर्तनशील है, इसलिए हमें समय-समय पर समाजिक परिदृश्यों का अवलोकन करते रहने की आवश्यकता होती है. बदलाव के क्रम में कुछ अच्छी चीजें भी आती है और कुछ बुरी चीजें भी. हमें अच्छाईयों का अनुसरण और बुराइयों का त्याग करना चाहिए. मौजूदा वक्त में दहेज-प्रथा हमारे समाज को दीमक की तरह चाट कर खोखला कर रहा है. इसका निवारण अतिआवश्यक है.
हाल में ही मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की तरफ़ से एक प्रतिज्ञापत्र यानि इकरारनामा जारी किया गया है. पत्र का लब्बोलुआब ये कि समाज में शादी-विवाह को आसान बनाने के लिए हम इकरारनामा में लिखी गई बातों पर अमल करें. दरअसल प्रतिज्ञापत्र उर्दू में लिखा है जिसका हिंदी अनुवाद कुछ इस तरह है.
मैं प्रतिज्ञा करता हूं कि__
1) निकाह को आसान बनाएंगे, फालतू रस्म-रिवाज से बचेंगे. विशेषकर दहेज़ की मांग नहीं करेंगे. हल्दी रतजगा से परहेज़ करेंगे.
2) बारात की रस्म छोड़कर मस्जिदों में निकाह करेंगे.
3) निकाह की दावत सिर्फ ख़ास लोगों एवं परिवार वालों को ही देंगे.
4) निकाह में शामिल होंगे परन्तु दावत खाने से ऐतराज करेंगे.
5) वलीमा की दावत सादगीपूर्ण करेंगे, धन की नुमाइश नहीं करेंगे और साथ ही गरीबों का ध्यान रखेंगे.
6) जिस शादी समारोह में सुन्नत और शरियत का ख्याल नहीं रखा गया हो उसका विरोध करेंगे और जहां सुन्नत एवं शरीयत का ध्यान रखा गया हो उसकी सराहना करेंगे.
7) शादी की महफ़िल में गाना-बजाना आतिशबाजी नहीं करेंगे और क़ीमती स्टेज़ नहीं बनाएंगे.
8) नौजवान अपने निकाह को सादगी और कम खर्च के साथ करेंगे, किसी बाहरी के दबाव में बिल्कुल नहीं आएंगे.
9) निकाह निर्धारित समय पर करेंगे.
10) निकाह के बाद अपनी अज़दवाजी यानि दांपत्य जीवन को पैगम्बर मोहम्मद साहब स० के बताए मार्ग पर निभा करेंगे. पत्नी के साथ अच्छा व्यवहार रखेंगे.
11) औलाद को बेहतर शिक्षा देंगे और साथ ही शरियत का पाबंद रहे इसके लिए भ्रसक प्रयत्न करेंगे.
इस प्रतिज्ञापत्र के नीचे मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष एवं एवं उलेमाओं के नाम लिखे हैं. जिन लोगों ने मुस्लिमों से ये खास गुजारिश की है.