रिपोर्टर; मुज़फ्फर इस्लाम
घोसी, मऊ| घोसी नगर के बड़ा गांव स्थित डॉक्टर शमीमुल हसन का हृदय गति रुकने से इस संसार को अलविदा कह दिया।
जिसको लेकर मदरसा हुसैनिया मैं शोक सभा का आयोजन कर मदरसा प्रबंधक मौलाना काज़िम हुसैन मज़हरी का शोक व्यक्त करते हुए कहा कि
हज़ारों साल नर्गिस अपनी बेनूरी पे रोती है
बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदवर पैदा
अफसोस सद अफ़सोस, एक अच्छा इंसान, नेक सीरत, नेकदिल इंसान, लोगों के दुखों में भागीदार, बड़ागांव में शिक्षा के प्रवर्तक, गरीब बच्चों के लिए मुफ्त शिक्षा का इंतज़ाम करने वाले , क़ौम की तरक़्क़ी का ख्वाब देखने वाले क़ौम का हक़ीक़ी दर्दमंद अब हमेशा के लिए अपनी आंखे बंद कर के हम से दूर चला गया। बड़ागांव घोसी में 1990 से अब तक शिक्षा को बढ़ावा देने और मदरसा हुसैनिया को विकास के पथ पर रखने और मदरसे में शिक्षा में सुधार लाने में हमेशा मेरे मार्गदर्शक रहे हैं। डॉ०शमीम अल-हसन का निधन हमारे पूरे शहर के लिए एक बहुत बड़ा नुकसान हुआ। उन्हें लोगों की सेवा करने का बड़ा जुनून था। उन्होंने बेसिक शिक्षा घोसी में ही प्राप्त की और उच्च शिक्षा के लिए लखनऊ जामए नाजमिया पहोंचे और क़ाबिल कक्षा तक डिग्री हासिल की और फिर लखनऊ से अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय चले गए और डॉक्टरेट की उपाधि BUMS प्राप्त की बस्ती की गरीबों का ख्याल रखते हुए, वे रोगियों को बहुत कम कीमत पर दवा उपलब्ध कराते थे और रात के किसी भी हिस्से में आपात स्थिति में, वे उनके पास जाते थे कभी भी किसी से बुरा व्यवहार नही करते थे उन्हों ने अंतिम समय तक लोगों की सेवा की म। तीन दिन पहले की बात है। 31/08/2021 की सुबह अचानक जब उन की तबीयत बिगड़ी तो मैं उसका हाल जानने उसके घर गया। और मैं ने उन की तबियत जानी मैं उन के पास ही बैठा था तो उन्हो ने मुझसे कहा कि आज सुबह जैसी मेरी तबियत थी मुझे यकीन था कि मेरी मुलाकात आज मलकुल मौत से होना निश्चित है। स्वर्गीय के इस कथन के खंडन में मैं ने ये कहा कि वह वक़्त अभी बहुत दूर है। अभी आपको कई बच्चों की शिक्षा का प्रबंधन करना है। मृतक का स्वास्थ्य अभी ठीक नहीं था लेकिन वह बच्चों की शिक्षा के बारे में बहुत चिंतित थे। उन्होंने मुझ से कहा कि कल स्कूल फिर से खुलने जा रहा है स्कूलों को बंद होए दो साल हो गए हैं। माता-पिता को अवसर का लाभ उठाना चाहिए अब और अपने बच्चों को शिक्षा के लिए स्कूल भेजने में कोताही न करें। मैं उनके स्वस्थ होने के लिए प्रार्थना करता हूं। शाम को, मैंने मृतक को क्लिनिक जाते देखा। मगरिब के बाद, मैं उनकीं तबियत जानने के लिए उन के क्लिनिक गया, मगर मैं उनसे नहीं मिल सका। वह घर गए थे। मुझे लखनऊ आना था, इसलिए मैं अपने समय से लखनऊ आया। 2 सितंबर को, जब मैं लखनऊ से मऊ के लिए ट्रेन में चढ़ा, तो मुझे आपके निधन की खबर मिली। आपके निधन की खबर सुनकर मुझे दुख हुआ। मेरा दिल बहुत बेचैन था। वह हमारी दृष्टि से बहुत जल्दी गायब हो गया। उन्हों ने कई सारी सेवाएं कीं, जिनमें से एक महान सेवा थी। अहलुल बेत मॉडर्न स्कूल की स्थापना। आप इसका महत्व जानते हैं शिक्षा। उन्होंने राष्ट्र में शैक्षिक जागरूकता के अभियान को जारी रखा और अंग्रेजी, हिंदी, गणित, विज्ञान और धर्मशास्त्र के शिक्षण को लोकप्रिय बनाया। अल्लाह की स्तुति करो। मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि वह आपके बख्श दे मृतक को क्षमा करने के लिए, उसके अच्छे कर्मों को बढ़ाओ, उसके पापों को क्षमा करो,और उसके परिवार को धैर्य रखने में मदद करो।
सहभागी दु: ख काज़िम हुसैन मज़हरि मदरसा हुसैनिया घोसी