आवैसी की राजनीतिक ताकत मे हुवा इजाफा-अब वो अन्य प्रदेशो मे भी अपनी राजनीतिक ताकत बढायेगे!

अशफाक कायमखानी।जयपुर।
भारत मे अपनी पार्टी के एक मात्र सांसद होने के बावजूद देश भर की राजनीति के जाने पहचाने जाने वाले आल इंडिया इत्तेहादुल मुस्लेमीन के कौमी सदर व सांसद बैरिस्टर असदुद्दीन आवेशी ने पहली दफा भारत भर मे अपनी पार्टी से तीन लोकसभा उम्मीदवार चुनाव मैदान मे उतारे जिनमे से उनके स्वयं के अलावा महाराष्ट्र के ओरंगाबाद लोकसभा क्षेत्र से इम्तियाज जलील चुनाव जीतकर सांसद बनने के बाद संसद मे अब उनकी तादाद पहले के मुकाबले दूगनी हो गई है।

पिता सुल्तान सलाऊद्दीन आवेसी के हेदराबाद से सांसद बनने के सीलसीले को जारी रखते हुये असदुद्दीन आवेसी ने हैदराबाद लोकसभा क्षेत्र से चौथी दफा चुनाव जीतकर सांसद बनकर अपनी पार्टी का परचम लहराया है। लेकिन पीछले एक दशक से आवेसी के अन्य प्रदेशों मे कुछ जगह विधानसभा व स्थानीय निकाय चुनाव मे अपने उम्मीदवार चुनावी मैदान मे उतारने पर सेक्यूलर दलो के वोट काटकर भाजपा को जीताने के आरोप वाला यानी कुछ नेता तो उन्हे भाजपा का ऐजेंट तक बताने से चूक नही रहे थे।

हाल ही मे लोकसभा चुनाव नतीजे आने के बाद सांसद आवेसी ने सपा, बसपा व टीमसी के नेता अखिलेश माया व ममता सहित अन्य दलो के नेताओं पर हमला बोलते हुये कहा कि उक्त नेता अब बताये कि उनके इस लोकसभा चुनाव मे खराब प्रदर्शन मे किसने मत काटे है। उनपर वोट काटने का आरोप लगाने वाले नेता यह जान ले कि उन्होंने भारत मे तीन उम्मीदवार लोकसभा चुनाव मे उतारे थे जिनमे से हेदराबाद से स्वयं असदूद्दीन आवेसी, महाराष्ट्र के ओरंगाबाद से इम्तियाज जलील चुनाव जीतकर सांसद बने है। एवं उनके तीसरे उम्मीदवार बिहार के किशनगंज से अख्तरुल इमाम चुनाव लड़े है, जो जीत तो नही पाये लेकिन अच्छी तादाद मे मत पाकर अपने आपको राजनीति मे स्थापित कर लिया है।

तेज तर्रार व हाजिर जवाब होने की कला के माहिर सांसद आवैसी की राजनीति पर नजर रखने वाले बताते है कि ओवैसी अपनी पार्टी का अन्य प्रदेशों मे विस्तार करने के लिये पहले चुनिंदा शहरो के स्थानीय निकाय चुनाव मे ओर फिर विधानसभा चुनाव मे अपने उम्मीदवार खड़ा करके स्वयं प्रचार मे जाकर जमीन साजगार बनाते है। फिर उनमे से कुछेक जगह लोकसभा का चुनाव अपने लोगो को लड़ाने को तैयार होते है। महाराष्ट्र से उनके सांसद जीतने से उत्साहित आवेसी अब महाराष्ट्र के बाद बिहार व बंगाल मे अपनी पार्टी के उम्मीदवारों को चुनावी मैदान मे उतारकर पार्टी का विस्तार करने की बात कह रहे है। राजनीतिक सूत्र तो इसके अलावा यह भी कह रहे है कि उन्होंने राजस्थान के स्थानीय निकाय चुनाव मे कुछ चुनिन्दा शहरो मे अपने उम्मीदवार खड़े करके राजस्थान मे भी विस्तार करने की मुहिम को आगे बढा दिया है

सांसद बेरिस्टर आवेसी की राजनीति पर नजदीक से नजर रखने वाले बताते है कि संसद व संसद के बाहर विभिन्न मुद्दों पर सलिखे से अपना पक्ष रखने के चलते ओवेसी की पहचान अब राष्ट्रीय स्तर के नेता के तोर पर होने से उन्हें अन्य मुस्लिम नेताओं के मुकाबले मीडिया मे अधिक महत्व मिलता है। उनकी एक खास बात यह है कि उनके अधीकांश उम्मीदवार आला तालीम याफ्ता होते है, जो स्थानीय मुद्दों की पहचान करके राजनीति मे धीरे धीरे दक्षता पाने मे कामयाब हो जाते है। उनकी पार्टी का पार्षद भी राष्ट्रीय मुद्दों पर बहस करने मे माहिर के अलावा सोसियल ऐक्टिविस्ट की तरह अपने क्षेत्र मे काम करने के कारण मतदाताओं के दिलो मे बहुत जल्द जगह बना लेने मे कामयाब हो जाते है।

कुल मिलाकर यह है कि पिता सुल्तान सलाऊद्दीन आवैसी से लेकर स्वयं असदूद्दीन आवेसी के 2014 के लोकसभा चुनावों तक एक सांसद वाली रही आल इण्डिया इत्तेहादुल मुस्लेमीन पार्टी के अब 2019 के लोकसभा चुनाव मे दो सांसद जीत कर आने से असदूद्दीन ओवेसी काफी उत्साहित है। जिसके चलते अब उन्होंने अपनी पार्टी का हेदराबाद के बाहर अन्य प्रदेशों मे भी विस्तार करने का ऐहलान करके अनेक दलो के नेताओं की चिंताओं मे इजाफा कर कर दिया है।

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is a young journalist & editor at Millat Times''Journalism is a mission & passion.Amazed to see how Journalism can empower,change & serve humanity