गंगा में तैरते हुए शवों का खौफनाक मंजर देख कर शर्म से सिर झुक जाता है:शिवानंद तिवारी

गंगा में तैरते हुए शवों का खौफनाक मंजर देख कर शर्म से सिर झुक जाता है, शिवानंद तिवारी

पटना-: (मुजफ्फर आलम) गंगा में तैरते हुए शवों का दृश्य देखकर शर्म से सिर झुक जाता है. आखिर लोग क्यों अपने मृत परिजनों शवों का दाह संस्कार करने के बदले उन्हें नदियों में प्रवाहित कर दे रहे हैं ! इन बातों का प्रेस विज्ञप्ति जारी कर राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने कही, उन्होंने कहा कि
इसकी दो ही वजहें हो सकती हैं. या तो श्मशानो में जगह नहीं मिल रही है या दाह संस्कार करने का सामर्थ्य उनमें नहीं है. दोनों वजहें किसी भी सरकार और समाज को शर्मसार करने के लिए पर्याप्त हैं.
हमारी मौजूदा सरकार देश को विश्व गुरु का दर्जा दिलाने का दावा करती रही है. आज हालत यह है कि दुनिया हमसे भयभीत है. लोग डरे हुये हैं कि महामारी का तीसरा दौर कहीं यहीं से न शुरू हो. सरकार बड़े-बड़े दावे कर रही है कि हम दुनिया के अन्य मुल्कों के मुकाबले ज्यादा तेजी के साथ टीकाकारण कर रहे हैं. लेकिन आबादी के अनुपात में देखें तो अब तक मात्र ढाई प्रतिशत आबादी का ही टीका करण हमारे देश में हो पाया है. जबकि साबित हो चुका है कि इस महामारी से रक्षा का एकमात्र उपाय अधिक से अधिक आबादी का टीकाकरण करना ही है.
लेकिन टीकाकरण की सरकार की नीति निराशा पैदा करनेवाली है. अभी दो ढाई महीना पहले सरकार ने संसद से बजट पास करवाया. बजट में पैंतीस हजार करोड़ रूपये की राशि टीककरण के मद में इस आश्वासन के साथ आवंटित किया गया था कि इस मद में राशि की कमी नहीं होने दी जाएगी. आवंटित राशि और सरकार के आश्वासन से स्पष्ट था कि देश के तमाम नागरिकों का टीकाकरण सरकार अपने खर्च से कराएगी. कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इस मद में जितनी राशि का आवंटन बजट में है उतनी ही राशि में देश के तमाम नागरिकों का मुफ्त टीकाकरण हो जाता. ऐसा कर सरकार नागरिकों पर कोई उपकार नहीं करती, बल्कि अपने दायित्व का ही अनुपालन करती. अबतक हमारे देश में यही परंपरा हमारी पूर्ववर्ति सरकारों ने बनाई है. लेकिन मोदी सरकार ने 48 बरस से ऊपर वाली आबादी के टीकाकरण का दायित्व अपने ऊपर लेने के बाद बाकी आबादी के टीकाकरण के दायित्व से अपना पल्ला झाड़कर अपने जन विरोधी चरित्र का ही परिचय दिया है.
अगर आबादी का वर्गीकरण किया जाए तो अड़तालीस वर्ष से ऊपर वालों की आबादी हमारे देश में लगभग तीस करोड़ है. जबकि अठारह से अड़तालीस वर्ष के बीच के उम्र वालों की आबादी साठ करोड़ से ऊपर है. इस प्रकार देखा जाए तो मोदी सरकार देश की बड़ी आबादी के टीकाकरण के अपने दायित्व से मुकर गई है. सरकार के इस कदम से उसका चरित्र ही उजागर हुआ है.

SHARE
आप अपना लेख, न्यूज़, मजमून, ग्राउंड रिपोर्ट और प्रेस रिलीज़ हमें भेज सकते हैं Email: millattimeshindi@gmail.com